देहरादून/ दून घाटी मुसूरी मार्ग से मेरे द्वारा खींची गयी तस्वीर |
मुक्ति मार्ग की इस उलझन में
क्षणभंगुर यौवन घर में
बंजारे का कौन ठिकाना
दूर बहुत है मुझको जाना,,,,,,
........................................
खेल खिलौने मीत सलोने
रूठे पल छिन सावन झूले
सागर मे भरी सीपें जितनी
भूली बिसरी यादे कितनी ??
........................................
........................................
तारों भरी वो रात सुहानी
ना जाने फिर कब हैं आनी..
आँख से बहता झरझर पानी
आँख से बहता झरझर पानी
गुजर गयी कब रात सुहानी ??
..................................................जन्म मृत्यु अंतहीन कहानी
सृष्टि चक्र की बात पुरानी
आँखों मे जी भरकर भरलूं
आँखों मे जी भरकर भरलूं
प्रियतम तेरी छवि सुहानी !!
......................................................
......................................................
शास्वत चलते काल चक्र में
थके पथिक का क्या भरमाना
अंतर्मन का सूर्य अस्त हो
कल जाने फिर कब हो आना ??
दूर बहुत है मुझको जाना ....
......................................................
......................................................
श्रीप्रकाश डिमरी जोशीमठ उत्तराखंड भारत
१८ अक्टूबर २०१२ फोटो साभार गूगल....