१)
सुनो शिशिर..... !!!!
हिम कँवर ...
जब तुम बरसाते
कम्पित विहग ..
कहाँ चले जाते ..!!!???
सुख की डोली में
मगन तुम झूलो
शिशुपन के पुलकित मन का
कैसा नीरव.....!!!!
ये सृजन ???
आह सखी ...
भर लायी हूँ मैं....!!
नैनो में उनका करुण रुदन ..
हिम कँवर ...
जब तुम बरसाते ..
कहो शिशिर ..!!!???
कम्पित विहग ...!!!
कहाँ चले जाते ...????
****क्रमशः*****
श्रीप्रकाश डिमरी जोशीमठ, जनवरी २०११
सुनो शिशिर..... !!!!
हिम कँवर ...
जब तुम बरसाते
कम्पित विहग ..
कहाँ चले जाते ..!!!???
सुख की डोली में
मगन तुम झूलो
शिशुपन के पुलकित मन का
कैसा नीरव.....!!!!
ये सृजन ???
आह सखी ...
भर लायी हूँ मैं....!!
नैनो में उनका करुण रुदन ..
हिम कँवर ...
जब तुम बरसाते ..
कहो शिशिर ..!!!???
कम्पित विहग ...!!!
कहाँ चले जाते ...????
****क्रमशः*****
श्रीप्रकाश डिमरी जोशीमठ, जनवरी २०११
5 comments:
Bahut,bahut sundar....aur aage ka intezaar rahega!
वाह श्री जी... हिम कंवर जब तुम बरसते ....
वाह श्री जी ....
हिम कँवर ...
जब तुम बरसाते ..... बहुत खूब
आह सखी ...
भर लायी हूँ मैं....!!
नैनो में उनका करुण रुदन ..
हिम कँवर ...
जब तुम बरसाते ..
कहो शिशिर ..!!!???
कम्पित विहग ...!!!
कहाँ चले जाते ...????
बहुत सुंदर .....
apni ye do rachnayen parichay tasweer blog link ke saath rasprabha@gmail.com per bhej den
तुम्हारी याद ......
महा प्रयाण !!!
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