Monday, August 13, 2018

यति !!

इस सूने
निर्जन में
जहां
अँधेरे घने देवदार उंघते हैं ...
अलसाई नींद में...
तुम सम्मोहित हो
मुस्कुराती हो
पर वहीँ
सदियों पहले
गुजरे थे काफिले ...
आदिम भूख के ...
यतियों के ...
पंजों के निशाँ , पत्थर का खंजर ...
और मेरी ...
मृत्यु की चीख पसरी है ..
इस वीराने में..
यहाँ वहाँ फैले हैं कतरे मेरे खून के .. ..
तुम्हारा ..
विजय उद्घोष ..
दंभ का ध्वज अवशेष...
भय की मरीचिका है शेष ...
सदियों बाद...
आज भी
सभ्यता का आवरण ओढ़े
यतियों के झुण्ड
मानवता का
लहू पी जाते हैं और ...
हम चुपचाप
बर्फ  की  मानिंद
भयग्रस्त शीतित हो जम जाते हैं ..
हमारी आस्थाओं के देवदार फिर से..
निस्तब्ध अंधेरों में डूब जाते हैं.... ...
श्रीप्रकाश डिमरी जोशीमठ १ मई २०११
फोटो साभार  डा० प्रकाश भट्ट Photo By Dr. Prakash Bhat
(Location  Auli Joshimath Uttarakhand India )स्थल औली जोशीमठ उत्तराखंड भारत