Wednesday, June 29, 2011

सभी ब्लाग्गर  मित्रों  को शुभ  दिवस

Tuesday, June 28, 2011

(१) सुनो शिशिर..... !!!!


हिम कँवर ...
जब तुम बरसाते
कम्पित विहग ..
कहाँ चले जाते ..!!!???
सुख की डोली में मगन
तुम झूलो
शिशुपन के पुलकित मन का
कैसा नीरव.....!!!!
ये सृजन ???
आह सखी ...
भर लायी हूँ मैं....!!
नैनो में उनका करुण रुदन ..
हिम कँवर ...
जब तुम बरसाते ..
कहो शिशिर ..!!!???
कम्पित विहग ...!!!
कहाँ चले जाते ...????
श्रीप्रकाश डिमरी जोशीमठ जनवरी २०११
(२)
सुनो बसंत !!!!......
हे सखी !!!....
हिम कँवर न मैं बरसाता ....
सत्य कहना ...
सूखे अधर तुम्हारे
फिर कैसे मुस्काते ???
और माँ वसुंधरा..
के जीवन पथ पर ...
शिशु बसंत के
नव किसलय नव पुष्प
कैसे खिल पाते ???
सुकुमार पंछी पुलकित हो
क्या ?? नव सृजन के गीत गाते ....!!!!
उठो सखी...
भरे हुये इन नैनों से
हिलमिल कर फिर छेड़े ..
नव सृजन की तान..........
ब्यर्थ न जाए जीवन का
ये शास्वत बलिदान......
श्रीप्रकाश डिमरी जोशीमठ १५ मार्च २०११