प्रेम !!!..............
रात गए ...
तन्हाईयों में अक्सर ..
एक चहचाहट सी सुनकर
उठ जाता हूँ विस्मित होकर ..
उस घटाटोप अंधकार में भी
तुम्हारी प्रेम पाती मुस्कुराती है ..
और मेरे ह्रदय के नीड़ से उडकर
तुम्हारी भेजी दो नन्ही चिडियाँ ...
मन आंगन के अंधेरों में
आशाओं के असंख्य ...
मधुर गीत सुनाती है ..
तब .....
अपने तमाम नेह को
कागज में उडेलने के
अथक प्रयास में ....
मेरी आँखों में युगों से कैद
एक हठीले ....
निश्तब्ध महासागर का मौन
एकाएक टूट जाता है ..
और निर्झर बहते अश्रुओं में
तुम्हारा ही " प्रतिबिम्ब" मुस्कुराता है ...
....................................
( परम स्नेही मित्र प्रतिबिम्ब बर्थवाल जी के स्नेह को समर्पित )
स्वरचित..... श्रीप्रकाश डिमरी २३ मई २०१०
31 comments:
श्री जी आपका ये स्नेह अन्तर्मन को सुखद एहसास दिलाता है। जो इंसान स्वयं स्नेही है उदार हृदय है तथा जिसके जिसके कण कण मे प्रेम का वास है उनसे येसे शब्द स्वयं को पढ़ने सुनने को मिले तो पैर जमीं पर नही पड़ते ...... आभार श्री जी तहे दिल से
Ekek lafz khoobsoorat hai...pooree rachana lajawaab hai!
बहुत खूबसूरती से प्रेम को सजीव किया है ..अच्छी प्रस्तुति
सजीब प्रेम का बोलता रुप...खूबसूरत प्रस्तुति...
जब शब्द नहीं निकल पाते हैं, अश्रु निकल जाते हैं।
शुक्रिया प्रतिबिम्ब जी ..सादर अभिनन्दन !!!
Kshama ji ...saadar abhinandan evam shubh kaamnayen !!!
संगीता स्वरुप जी ..सादर अभिनन्दन एवं शुभकामनाएं !!!
माहेश्वरी कनेरी जी सादर अभिनन्दन एवं शुभकामनाएं !!
प्रवीण पांडे जी ...सादर अभिनन्दन एवं शुभ कामनाएं !!!
श्री जी! बेहद सुन्दर रचना और अनुभूति... उम्दा ये नेह बना रहे ..आपकी कलम यूं ही चलती रहे...
नूतन जी ...ब्लाग में पधार कर उत्साह वर्धन हेतु शुक्रिया एवं हार्दिक शुभ कामनाएं ...
सादर अभिनन्दन !!!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 21 - 07- 2011 को यहाँ भी है
नयी पुरानी हल चल में आज- उसकी आँखों में झिल मिल तारे -
sundar rachna,aabhar.
तुम्हारी भेजी दो नन्ही चिडियाँ
मन आंगन के अंधेरों में
आशाओं के असंख्य
मधुर गीत सुनाती है
आशाओं से ही जीवन है।
सुंदर कविता।
तुम्हारी भेजी दो नन्ही चिडियाँ ...
मन आंगन के अंधेरों में
आशाओं के असंख्य ...
मधुर गीत सुनाती है ..
bahut hi badhiyaa
रश्मि प्रभा जी ,महेन्द्र वर्मा जी, अंकित पांडे जी , संगीता स्वरुप जी ...कोटि कोटि आभार !!!
सादर अभिनन्दन !!!
प्रेम का सुन्दर अहसास.
निश्तब्ध महासागर का मौन
एकाएक टूट जाता है ..
और निर्झर बहते अश्रुओं में
तुम्हारा ही " प्रतिबिम्ब" मुस्कुराता है ...
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
अंतर्मन को उद्देलित करती पंक्तियाँ, बधाई....
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
एस .एन. शुक्ल
तुम्हारी भेजी दो नन्ही चिडियाँ ...
मन आंगन के अंधेरों में
आशाओं के असंख्य ...
मधुर गीत सुनाती है ..
prem ke gahan anubhtui ko darshati sundar rachna..
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
वाह - वाह, बहुत खूब - अप्रतिम रचना - स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
खूबसूरत प्रस्तुति.......
बहुत खूब ...
हार्दिक शुभकामनायें !
ओह! अनुपम प्रस्तुति.
बहुत बहुत आभार.
वाह प्रेम की सजीव अभिव्यक्ति.
हृदयस्पर्शी रचनाएँ ....
हृदयस्पर्शी रचनाएँ ....Vijay Krishali
Great Sir ji....vijay
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