.अपने आस पास मानवीय संवेदनाओं ..आस्थाओं के सरल ओर सहज रूप को ..अविश्वाश ओर दंभ से परास्त होते देखना कितना पीड़ा दायक होता है ... हमारी संवेदनाये ओर स्नेह इस भौतिक युग में सभ्यता के तथाकथित विकास में .. कितना बिखर चुके हैं ....मन भर आता है..ओर अनुभूतियाँ स्पन्दित होने लगती हैं.. .. अवाक रह जाता हूँ मैं....फिर भी विश्वास है .. संसार में मानवीय संवेदनाएं एवं पारस्परिक प्रेम की भावना के जीवंत होने का....
10 comments:
बड़ी सुन्दर अभिव्यक्ति।
सुन्दर अभिनन्दन
प्रेम पथिक..
भावों के इस ह्रदय द्वार..
कोटि कोटि अभिनन्दन ..
शुभ कामनाएं अनंत ..
Nihayat sundar!
♥
आपका भी स्वागत अभिनंदन !
अच्छी लघु कविता :)
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और
शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत खूबसूरत अभिनन्दन किया है आपने.
नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आप आये इसके लिए
हृदय से आभार आपका.
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति।..नवरात्रि पर्व की बधाई .
बहुत खूबसूरत रचना , सुन्दर भाव ,बधाई
बहुत सुन्दर ... भावो से और नेह से भरा अभिनन्दन ... आपको भी नवरात्रि पर शुभकामनायें
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं !
आपका भी अभिनन्दन.
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