हिम कँवर ...
जब तुम बरसाते
कम्पित विहग ..
कहाँ चले जाते ..!!!???
सुख की डोली में मगन
तुम झूलो
शिशुपन के पुलकित मन का
कैसा नीरव.....!!!!
ये सृजन ???
आह सखी ...
भर लायी हूँ मैं....!!
नैनो में उनका करुण रुदन ..
हिम कँवर ...
जब तुम बरसाते ..
कहो शिशिर ..!!!???
कम्पित विहग ...!!!
कहाँ चले जाते ...????
श्रीप्रकाश डिमरी जोशीमठ जनवरी २०११
(२)
सुनो बसंत !!!!......
हे सखी !!!....
हिम कँवर न मैं बरसाता ....
सत्य कहना ...
सूखे अधर तुम्हारे
फिर कैसे मुस्काते ???
और माँ वसुंधरा..
के जीवन पथ पर ...
शिशु बसंत के
नव किसलय नव पुष्प
कैसे खिल पाते ???
सुकुमार पंछी पुलकित हो
क्या ?? नव सृजन के गीत गाते ....!!!!
उठो सखी...
भरे हुये इन नैनों से
हिलमिल कर फिर छेड़े ..
नव सृजन की तान..........
ब्यर्थ न जाए जीवन का
ये शास्वत बलिदान......
श्रीप्रकाश डिमरी जोशीमठ १५ मार्च २०११
17 comments:
Sundar hain dono rachnayen!
शिशिर और बसंत के भावों को संजोये सुन्दर प्रस्तुति
"भरे हुये इन नैनों से हिलमिल कर फिर छेड़े .. नव सृजन की तान.......... ब्यर्थ न जाए जीवन का ये शास्वत बलिदान"
वाह - शिशिर और बसंत दोनों बहुत सुंदर.
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 28 - 06 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच-- 52 ..चर्चा मंच
बहुत सुंदर भाव व्यक्त किये हैं...
अच्छा लगा पढ़कर....
प्रकृति के रंगों के नवसृजन का सुंदर चित्रण...... बहुत बढ़िया रचना......
प्रकृति तत्वों का आपसी संवाद, न जाने कितने त्यागों की कथा कह जाते हैं।
@ kshama ji, संगीता स्वरुप जी , राकेश कौशिक जी ,वीना जी, डा० मोनिका शर्मा जी , प्रवीण पांडे जी ,आप सभी आदरणीय मित्रों का अपार अभिनन्दन ...शुभकामनाएं
आदरणीय संगीता स्वरुप जी ...चर्चा मंच में स्थान देकर सम्मान प्रदान करने हेतु कोटि कोटि आभार ....सादर अभिनन्दन
सुन्दर रचना |
आता रहूँगा आभार ||
शिशिर और बसंत - बहुत सुंदर.
प्रकृति के रंगों का सुंदर चित्रण.....शिशिर और बसंत दोनों में बहुत सुंदर भाव व्यक्त किये हैं...
अच्छा लगा पढ़कर....
shishir aur basant se is tarah baatchit...adbhut
शिशिर और बसंत दोनों बहुत सुंदर| शुभकामनाएं|
रश्मि प्रभा जी ,रविकर जी ,माहेश्वरी कनेरी जी patali the village ji....हार्दिक आभार एवं अभिनन्दन ...
आह! आल्हादित हो गया मन
आपकी प्रस्तुति बेहतरीन है.
बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ.
शिशिर और बसंत का संवाद अदभुत है.
मेरे ब्लॉग पर दर्शन दीजियेगा.
nai rachna ke intjaar me
atyant sundar........basant aur shishir ka atyant pravabhshali evam sajev manvikaran.......
vatsalya evam mamatv ke param alokik sukh ki prapti se purv maa ko atayant kashtdayi prasav peedha se ho kar gujarna padhta...........prakriti b isi ghatna ko pratibimbit karti hai...
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